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जन सेवा राष्ट्र सेवा
हिन्दू अभी सुप्त अवस्था में है, थक गया है, जब यह जागेगा तो ऐसी प्रदीप्ति और तेजस्विता लेकर जागेगा कि सारी दुनिया इसकी कर्मठता से प्रकाशित हो उठेगी।- मा. रज्जू भैय्या
आपदा प्रबंधन
ग्राम आरोग्य के लिए आरोग्य रक्षक योजना, एकल विद्यालयों का शैक्षिक प्रयोग, केरल में चल रहे बाल गोकुलम् की अद्भुत संस्कार क्षमता, महाराष्ट्र में और गुजरात में चल रहा चार सूत्री धान खेती का प्रसार, तामिलनाडु में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह, दीप पूजा का कार्यक्रम, व्यसन मुक्ती, दिल्ली में तथा और कुछ शहरों में सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए चलने वाले प्रकल्प, बंगलोर और पुणे में चल रहा युवाओं को सेवा कार्य के लिए प्रेरित करने वाला युवा फॉर सेवा उपक्रम, आंध्र का बाल मजदुरों के लिए शिक्षा का प्रकल्प, चार सूत्री धान खेती ये सभी यही दर्शातें है कि सेवा कार्य के आयाम भी बढ़ रहे हैं, अधिक सर्वस्पर्शी हो रहे हैं तथा उपेक्षित समाज की समस्याओं का जड़ से समाधान करने की दिशा में अग्रसर हो रहे है। इस बैठक में किये गए वृत्त संकलन के अनुसार पूरे देश में शहर और गाँव मिलाकर 6982 स्थानों से 10479 तरूणों ने इस बार संघ के प्रथम वर्ष की शिक्षा ग्रहण की। द्वितीय वर्ष में 2581 तथा तृतीय वर्ष में 923 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया गया। शिक्षार्थियों को शाखा संचालन और शारीरिक कौशल्य के अतिरिक्त ग्राम विकास, आपदा प्रबंधन, नगरी सेवा बस्तियों में सेवा उपक्रम ऐसे विषयों में भी प्रशिक्षित किया गया। प्रतिवर्ष चलने वाले 20 दिन के इन निवासी वर्गों में संघ की प्राथमिक शिक्षा ग्रहण किये हुए स्वयंसेवकों में से चुने हुए स्वयंसेवकों को प्रवेश दिया जाता हैं। मई के प्रारंभ से लेकर जून के अन्त तक चलने वाले यह वर्ग संघ के कार्यकर्ता प्रशिक्षण की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है। लेकिन 2020 में कोरोनावायरस की महामारी के कारण पूरे देश में आरएसएस ने संघ शिक्षा वर्ग न लगाने का फैसला किया है इस वर्ष आरएसएस के 90 से अधिक स्थानों पर संघ शिक्षा वर्ग लगने वाले थे।
भोजन का प्रबंधन
देश के सभी प्रांतों में और दुर्गम क्षेत्रों में, निस्वार्थ भाव से कार्य कर रहें स्वयंसेवकों ने और उनके द्वारा निर्मित स्वयंसेवी संस्थाओं ने सेवाकार्यों के माध्यम से समाज परिवर्तन के लिये एक सशक्त पहल की है। इन सबके द्वारा चलाये गये सेवा के उपक्रमों में 2004 से 2009 तक 1 लाख से भी अधिक कार्यों की वॄद्धी हुई है। ये केवल संख्यात्मक वॄद्धि नहीं है। ग्राम आरोग्य के लिए आरोग्य रक्षक योजना, एकल विद्यालयों का शैक्षिक प्रयोग, केरल में चल रहे बाल गोकुलम् की अद्भुत संस्कार क्षमता, महाराष्ट्र में और गुजरात में चल रहा चार सूत्री धान खेती का प्रसार, तामिलनाडु में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह, दीप पूजा का कार्यक्रम, व्यसन मुक्ती, दिल्ली में तथा और कुछ शहरों में सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए चलने वाले प्रकल्प, बंगलोर और पुणे में चल रहा युवाओं को सेवा कार्य के लिए प्रेरित करने वाला युवा फॉर सेवा उपक्रम, आंध्र का बाल मजदुरों के लिए शिक्षा का प्रकल्प, चार सूत्री धान खेती ये सभी यही दर्शातें है कि सेवा कार्य के आयाम भी बढ़ रहे हैं, अधिक सर्वस्पर्शी हो रहे हैं तथा उपेक्षित समाज की समस्याओं का जड़ से समाधान करने की दिशा में अग्रसर हो रहे है। इस बैठक में किये गए वृत्त संकलन के अनुसार पूरे देश में शहर और गाँव मिलाकर 6982 स्थानों से 10479 तरूणों ने इस बार संघ के प्रथम वर्ष की शिक्षा ग्रहण की। द्वितीय वर्ष में 2581 तथा तृतीय वर्ष में 923 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया गया। शिक्षार्थियों को शाखा संचालन और शारीरिक कौशल्य के अतिरिक्त ग्राम विकास, आपदा प्रबंधन, नगरी सेवा बस्तियों में सेवा उपक्रम ऐसे विषयों में भी प्रशिक्षित किया गया। प्रतिवर्ष चलने वाले 20 दिन के इन निवासी वर्गों में संघ की प्राथमिक शिक्षा ग्रहण किये हुए स्वयंसेवकों में से चुने हुए स्वयंसेवकों को प्रवेश दिया जाता हैं। मई के प्रारंभ से लेकर जून के अन्त तक चलने वाले यह वर्ग संघ के कार्यकर्ता प्रशिक्षण की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है। लेकिन 2020 में कोरोनावायरस की महामारी के कारण पूरे देश में आरएसएस ने संघ शिक्षा वर्ग न लगाने का फैसला किया है इस वर्ष आरएसएस के 90 से अधिक स्थानों पर संघ शिक्षा वर्ग लगने वाले थे।
समर्पित सेवा भाव
राष्ट्रीय सेवा भारती के द्वारा देशभर में चलाये जा रहे सेवा कार्योंका एक संख्यात्मक आलेख तथा उल्लेखनीय आयामों का शब्दचित्र पुणे स्थित सेवा वर्धिनी के सहयोग से 1995 में प्रथम बार यह संकलन एक देशव्यापी सर्वेक्षण के आधार पर प्रस्तुत किया गया था। उसके बाद 1997,2004, और अभी 2009 में प्रकाशित ‘सेवा दिशा’, देशभर में फैल रहे सेवाकार्यों की बढो़त्री को नापने का एक अद्भुत प्रयास रहा है। राष्ट्रीय सेवा भारती के साथ-साथ वनवासी कल्याण आश्रम, विश्व हिन्दु परिषद, भारत विकास परिषद, राष्ट्र सेविका समिति, विद्या भारती, दीनदयाल शोध संस्थान, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इन संगठनों के द्वारा प्रेरित अलग-अलग सेवा संस्थाओं के सेवा कार्यों को भी इस में संकलित किया जाता है।
निःस्वार्थ सेवा
संसार में सबसे बड़े व सशक्त संगठन के रूप में आज संघ जाना जाता है। यह हिन्दुत्व की विचारधारा को और अधिक सबल बनाने का प्रयास है। समाज में एकात्मता स्थापित करने के लिए संघ का कार्य हर जगह चल रहा है। संघ कार्य सामाजिक समरसता को मजबूत करने का प्रयास है। अपने समाज में चल रही जातिवाद एवं कुरीतियों के कारण फैलने वाली विषमता समाप्त कर सम समाज की पुनर्स्थापना संघ का प्रयास है।
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