राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) स्मृति सेवान्यास का प्रपत्र आमुख

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स्व0 श्री राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से जीवन का प्रत्येक क्षण, तन, मन और धन का सर्वस्व अर्पण कर मॉ भारती की सेवा की। भारत का सर्वागींण विकास एवं परमवैभवशाली राष्ट्र बनाना
उनका संकल्प था। एक शिक्षक के रुप में उन्होंने समाज के सभी वर्गो के छात्रों का समान रुप से प्रगति करने के लिये सहयोग किया। उनके संपर्क और तपोमय जीवन से अनुप्राणित भारतमाता के अनेक सुपुत्रों ने निस्वार्थ
भाव से अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित करने का संकल्प लिया। परम पूज्य भैया के आदर्शों
के अनुरुप सेवाकार्य करने की इच्छा व्यक्त करते हुये कुछ समान विचार वाले सुधीजन “राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) स्मृति सेवान्यास” बनाने की घोषणा करतें है।
प्रस्तुत ट्रस्ट डीड आज दिनांक 31.08.2004 को राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) स्मृति सेवान्यास के कोषाध्यक्ष
रामकृपाल मिश्र पुत्र स्व0 देवी प्रसाद मिश्र 25/26 एल0आई0सी0 कालोनी टैगोर टाउन, इलाहाबाद जिन्हें
न्यासी मण्डल द्वारा अधिकृत किया गया है, द्वारा पंजीकरण हेतु प्रस्तुत किया गया है।
दिनांक 30 जुलाई स्थान 2004 में एतदर्थ आयोजित बैठक में सम्यक विचारोपरान्त निर्णय लिया गया है
किः-
1. न्यास का नामः

उपर्युक्त न्यास का नाम – राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) स्मृति सेवान्यास होगा।

2. कार्यक्षेत्रः

न्यास का कार्यक्षेत्र संपूर्ण भारत वर्ष होगा।

3. कार्यालयः

न्याय का कार्यालय “अनंदा 12/8 मेहता नेत्र चिकित्सालय मार्ग, सिविल लाइन्स, इलाहाबाद-
211001
4. न्यास के उद्देश्यः
4.1 शिक्षा, स्वास्थ्य एवं संस्कार केन्द्रों की स्थापना करना। केन्द्रों के माध्यम से विभिन्न सेवा प्रकल्प योजित
एवं संचालित करना तथा वह सब कुछ करना जो उक्त सेवा प्रकल्पों से प्रभावी संचालन के लिये
आवश्यक हो।
4.2 बनवासी, गिरिवासी, ग्रामवासी एवं झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले उपेक्षित एवं वंचित बंधुओं के
विकास की दृष्टि से कार्य करना।
4.3 भारत के सर्वागींण विकास हेतु वैज्ञानिक खोज के प्रकल्प लेना तथा इस प्रकार के अन्य प्रकल्पों में
सहयोग करना एवं वैज्ञानिक प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना।
4.4 प्राचीन भारत की महान वैज्ञानिक परपंरा के सम्बन्ध में अध्ययन एवं शोध करना तथा ऐसे कार्यों को
प्रोत्साहन देना।
4.5 देश के विभिन्न ज्वलंत समस्याओं पर गोष्ठियॉ एवं व्याख्यानमाला आयोजित करना।
4.6 प्रबुद्ध एवं सम्पन्न वर्ग में, समाज के अशिक्षित, विपन्न एवं उपेक्षित वर्ग के प्रति दायित्वबोध कराना
तथा उनके सहयोग से शिक्षण एवं स्वावलम्बन प्रकल्प लेकर निम्न वर्ग का जीवन स्तर ऊँचा करना तथा
इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सभी विधि सम्मत कार्य करना।
4.7 समाज के प्रबोधन हेतु पुस्तकालय एवं वाचनालय स्थापित करना एवं इनकी स्थापना में सहयोग
करना।
4.8 न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु समर्पण भाव से कार्यरत सामाजिक कार्यकर्ताओं के सर्वतोमुखी कल्याण के
लिए सहयोग करना।

5. न्यास का स्वरुपः

यह न्यास सार्वजनिक धर्मार्थ न्यास है।

6. प्रारम्भिक सम्पत्तिः

सामूहिक योगदान द्वारा प्राप्त रु 11,000 (ग्यारह हजार मात्र) न्यास की प्रारम्भिक पूँजी है।

7. न्यासी मण्डलः
7.1 पच्चीस संस्थापक न्यासियों सहित न्यासी मण्डल में न्यासियों की अधिकतम संख्या (51) होगी।
7.2 न्यास के उद्देश्यों में आस्था रखने वाले वयस्क भारतीय ही न्यासी के रुप में न्यास से जोड़े जाने के पात्र
होंगे।
7.3 न्यासी मण्डल सर्वसम्मति से ऊपर लिखित प्रतिबंधों के अधीन न्यासी नियुक्त करेगा।
7.4 न्यासी मण्डल अपनी बैठकों में विशिष्ट, उपयुक्त व्यक्तियों को विशेष आमंत्रित कर सकेगा। इस प्रकार
आमंत्रित महानुभावों को मत देने का अधिकार नहीं होगा।
7.5 न्यासी मण्डल के सुचारु रुप से संचालन हेतु न्यासी मण्डल अपने में से न्यास के अध्यक्ष, मंत्री एवं
कोषाध्यक्ष का निर्वाचन बहुमत से करेगा।
7.6 श्री कृष्ण बिहारी पाण्डेय इस न्यास के प्रथम अध्यक्ष है।
7.7 श्री गिरीश चन्द्र त्रिपाठी इस न्यास के प्रथम न्यासी एवं मंत्री है।
7.8 श्री राम कृपाल मिश्र इस न्यास के प्रथम कोषाध्यक्ष है वह न्यास के समस्त आय-व्यय का लेखा-जोखा
रेखेंगे तथा न्यास के पंजीकरण हेतु सभी औपचारिकताएं पूर्ण करेंगे।
8. न्यासियों का कार्यकाल एवं रिक्तपूर्तिः
8.1 पच्चीस संस्थापक न्यासी आजीवन न्यासी होगें, शेष सभी न्यासियों का कार्यकाल नियुक्ति की तिथि से
पांच वर्ष होगा।
8.2 किसी न्यासी का कार्यकाल पूर्ण होने पर या अन्य किसी कारण से न्यासी का पद रिक्त होने पर न्यासी
मण्डल सर्वसम्मति से रिक्तपूर्ति कर सकेगा।
8.3 किसी संस्थापक न्यासी के स्थान के रिक्त होने पर उनके स्थान पर हुई रिक्त की पूर्ति संस्थापक न्यासी
करेंगे, इस प्रकार से नियुक्त न्यासी संस्थापक न्यासी माना जायेगा।
8.4 पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर निवर्तमान न्यासी अगले पांच वर्ष के लिए पुनः नियुक्ति का पात्र
होगा।
9. न्यासी का निष्कासनः
9.1 न्यास के उद्देश्यों के विपरीत कार्य करने या न्यासी मण्डल के निर्णय की अवहेलना करने पर किसी भी
न्यासी को न्यासी मण्डल के दो तिहाई बहुमत से पारित संकल्प के द्वारा हटाया जा सकेगा।
9.2 निष्कासन हेतु आहूत न्यासी मण्डल की बैठक में आरोपित न्यासी को अपना पक्षा रखने का अवसर
दिया जायेगा।
10. न्यासी मण्डल के कर्तव्य एवं अधिकारः
10.1 न्यासी मण्डल को न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए दान प्राप्त करने का अधिकार होगा। यह दान
रोकड़, अधिकोष (बैंक ड्राफ्ट) किसी वस्तु अथवा अचल सम्पत्ति के रुप में हो सकेगा।

10.2 न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए न्यासीमण्डल को स्थाई कोष के निर्माण करने तथा सम्पत्ति का क्रय
एवं विनियोजन करने अथवा उसे किराये पर देने का अधिकार होगा।
10.3 न्यासीमण्डल न्यास के लिए विशिष्ट प्रकल्पों के लिए विभिन्न समितियों का गठन कर सकेंगा और उन्हें
कार्य संचालन का अधिकार भी दे सकेगा।
10.4 न्यासी मण्डल को न्यास के कार्य के लिए ऋण प्राप्त करने का अधिकार होगा।
10.5 न्यासी मण्डल को न्यास की चल एवं अचल सम्पत्ति के हस्तान्तरण अथवा विक्रय करने का अधिकार
संस्थापक न्यासी मण्डल के बहुमत द्वारा पारित संकल्प से ही प्राप्त होगा।
10.6 समान उद्देश्य वाली अन्य संस्थाओं से सहायता, सहयोग अथवा आर्थिक आदान प्रदान करने का न्यास
को अधिकार होगा।
10.7 इस न्यास का समापन करने, समान उद्देश्यों वाले किसी अन्य न्यास में उसे विलीन करने अथवा इस
न्यास पत्र में किसी प्रकार का संसोधन करने का अधिकार संस्थापक न्यासियों को होगा जो उनके दो
तिहाई बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा किया जा सकेगा।
10.8 न्यास का उद्देश्यों की पूर्ति, उसके प्रबंधन, संचालन तथा बैठकों की कार्यवाही हेतु न्यासी मण्डल अपनी
कार्य समिति का गठन करेगा।
10.9 कोई भी न्यासी न्यास से किसी प्रकार का वेतन, मानदेय आदि प्राप्त नहीं करेगा परन्तु न्यास के कार्य
हेतु किये गये प्रवास एवं अन्य अनुमोदित व्यय वह प्राप्त कर सकेगा।
10.10 न्यास के कार्यों से संबंधित न्यायालयीन प्रकरणों एवं वादो में लगा हुआ व्यय न्यास द्वारा वहन किया
जायेगा।
10.11 न्यास का कार्य करते हुये आर्थिक अथवा अन्य संभावित हानि को न्यास द्वारा ही वहन किया जायेगा
और उसके लिये कोई न्यासी व्यक्तिगत रुप से उत्तरदायी नहीं होगा, जब तक वह हानि उसने
जानबूझकर न की हो।
10.12 न्यासी मण्डल को सभी कार्य करने का अधिकार होगा जो कि न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए
आवश्यक हो।
10.13 न्यास आवश्यकतानुसार अपने प्रस्ताव पत्राचार द्वारा भी पारित कर सकेगा।
11. न्यास की कार्य समितिः
11.1 न्यास के कार्य के संचालन हेतु एक कार्य समिति होगी, जिसके निम्नांकित घटक होगें-
1. न्यास का अध्यक्ष
2. न्यास के मंत्री
3. न्यास के कोषाध्यक्ष
4. न्यास के आठ न्यासी
11.2 कार्य समिति का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा।
11.3 कार्य समिति का मंत्री ही न्यास का प्रबंध न्यासी होगा।
11.4 प्रबंध न्यासी न्यास का कार्यपालक अधिकारी होगा एवं न्यास की कार्य समिति के सामान्य निर्देशों पर
न्यास की ओर से समस्त कार्य सम्पादन करने के अधिकारी होगा एवं वह न्यास का सभी वादों में
प्रतिनिधित्व करेगा।
11.5 प्रबंध न्यासी द्वारा किए गए समस्त कार्य न्यासी मण्डल द्वारा किए हुए माने जायेंगे।
11.6 न्यास की कार्यसमिति आवश्यकतानुसार ऐसे नियम निर्माण, संशोधित अथवा परिवर्तित करने का
प्रस्ताव कर सकेगी जो न्यास के उद्देश्यों अथवा इस न्यास पत्र की भावनाओं एवं व्यवस्थाओं से सुंसंगत
होगा। परन्तु इसका न्यासी मण्डल द्वारा अनुमोदन आवश्यक होगा।

11.7 कार्य समिति को न्यास की आर्थिक दशाओं के अनुसार आवश्यक कर्मचारी आदि नियुक्त करने उन्हें
हटाने एवं उनके लिए सेवा नियम बनाने का अधिकार होगा।
11.8 कार्य व्यवस्था हेतु आवश्यकतानुसार उपसमिति बनाने तथा उपसमिति को भंग करने का अधिकार
कार्य समिति को होगा।
11.9 इन उपसमितियों में न्यासियों के अतिरिक्त अन्य व्यक्ति भी सदस्य बनाए जा सकेंगे ऐसे उपसमिति का
संयोजक कोई न्यासी ही होगा। उपसमितियों के कर्तव्य एवं अधिकारों का निर्धारण समिति करेगी।
12 बैठकें, सूचना एवं गणपूर्तिः
12.1 न्यासी मण्डल की वर्ष में न्यूनतम एक बार बैठक होगी, जिसे वार्षिक अधिवेशन कहा जायेगा, न्यासी
मण्डल की गणपूर्ति संख्या 1/3 होगी।
12.2 गणपूर्ति के अभाव में स्थागित न्यासी मण्डल की बैठक आधे घण्टे के बाद उसी स्थान पर बिना गणपूर्ति
के की जा सकेगी, किन्तु उसमें केवल सूची में उल्लिखित विषय ही लिए जा सकेंगे।
12.3 कार्यसमिति की वर्ष में न्यूनतम दो बार बैठक होगी कार्यसमिति की गणपूरक संख्या चार होगी, किन्तु
प्रबंध न्यासी की उपस्थिति अनिवार्य होगी।
12.4 न्यासी मण्डल की बैठक की सूचना कम से कम दस दिन पूर्व और कार्य समिति की सात दिन पूर्व देना
आवश्यक होगा।
12.5 आवश्यकता पड़ने पर अध्यक्ष अथवा मंत्री/प्रबंध न्यासी अल्प सूचना पर न्यासी मण्डल अथवा
कार्यसमिति की आपात बैठक आमंत्रित कर सकेगें।
घोषणा
इस न्यास पत्र द्वारा मैं घोषित करता हूँ कि इस राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) स्मृति सेवा न्यास की सम्पत्ति
आदि में मुझे जो भी स्वत्वाधिकार प्राप्त है, ये सब इस न्यास पत्र के पंजीयन दिनांक से न्यासी मण्डल में
निहित हो गये है। अतः समस्त न्यासी मण्डल इस सम्पत्ति का प्रयोग, सवर्धन एवं नियोजन न्यास के
उपरिलिखित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए करेंगे।

(रामकृपाल मिश्र)